परिचय – Introduction
साल 2001, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए ईडनगार्डन मैं खेले गए मैच की सच्ची कहानी। अजेय ऑस्ट्रेलियाई टीम विजय रथ पर सवार थी, वह उस समय लगातार 16 टेस्ट जीत चुकी थी। लेकिन क्या आप ईडन गार्डन्स की सच्ची कहानी जानते हैं? जब भारतीय टीम को वानखेड़े स्टेडियम में अजेय ऑस्ट्रेलियाई टीम द्वारा शर्मनाक तरीके से हराया गया था। यह सच्ची कहानी है जो अविस्मरनीय दंतकथा के रूप’ में समाप्त हुई।
वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ की ऐतिहासिक साझेदारी – What was the famous Dravid and Laxman partnership against Australia?
राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण के बीच मैं 373 रनों की साझेदारी हुई थी। ऑस्ट्रेलिया की टीम ने पहले बल्ल्जेबाजी करते हुए पहली इनिंग्स मैं 445 रुन्स बनाए। जवाब मैं भारीत्य टीम पहली पारी में 171 रुन्स पर ऑलआउट हो गई। अजेय ऑस्ट्रेलियाई द्वारा टीम इंडिया को फॉलोऑन दिया गया। इसके बाद राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण दो दिनों तक लगातार खेले और मैच बचाने के लिए दोनों के बीच 373 रनों की साझेदारी हुई थी और अंत मैं भारत ने वह टेस्ट मैच 171 रन से जीता गया।
हरभजन सिंह टीम में कैसे आए – How Harbhajan Singh Came into the team
कहानी शुरू होती है, अनुभवी स्पिनर अनिल कुंबले के साथ। अनिल कुंबले चोटिल थे और टीम का हिस्सा भी नहीं थे। वह टेस्ट सीरीज से बाहर हो गए थे। इंडियन टीम के बाकी स्पिनरों ने कुल मिलाकर 10 टेस्ट मैच भी नहीं खेले थे। दूसरी ओर हरभजन सिंह का उस समय सर्वश्रेष्ठ पर्दर्शन 30 रन देकर 3 विकेट था। इस के साथ युवा स्पिनर हरभजन सिंह को अनुशासनहीनता के आरोप मैं निलंबित भी कर दिया गया था। लेकिन कैप्टन सौरव गांगुली और कोच जॉन राईट, हरभजन सिंह मैं छुपी प्रतिभा देख चुके थे। वह जान चुके थे, कि यह युवा गेंदबाज ही उन्हें बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जितवायेगा। कैप्टन सौरव गांगुली टीम में हरभजन सिंह को शामिल करने के लिए सिलेक्शन समिति से भिड गये और एलान कर दिया जब तक टीम मैं हरभजन सिंह को शामिल नही किया जाता, तब तक वह टीम की सिलेक्शन दौरान कमरे से बाहर नहीं जाएगें।
वानखेड़े स्टेडियम की असफलता – The Debacle of Wankhede Stadium
ऑस्ट्रेलिया ने मुंबई टेस्ट 3 दिन में खत्म कर दिया। भारतीय टीम टेस्ट की दो परियो मैं से किसी एक पारी में भी 200 से ज्यादा का स्कोर नहीं बना सका। वानखेड़े स्टेडियम में भारत के कप्तान सौरव गांगुली और भारतीय टीम को दर्शकों की नाराजगी का सामना करना पड़ा था। भारतीय टीम की बहुत बेइजती हुई थी।
कोलकाता में टीम इंडिया के लिए कोई राहत नहीं – For Team India, there is no respite at Kolkata
जब भारतीय टीम दूसरे टेस्ट के लिए कोलकाता में उतरी, तब तक हालात और खराब हो चुके थे। भारतीय तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ को उंगली में फ्रैक्चर के कारण अनफिट घोषित कर दिया गया था। राहुल द्रविड़ टीम के तीसरे सबसे अनुभवी खिलाड़ी थे, जो फ्लू से बीमार महसूस कर रहे थे। डॉक्टर ने उन्हें बेड रेस्ट के लिए कहा था। वह बुखार और डिहाइड्रेशन से जूझ रहे थे। राहुल द्रविड़ को मैच से पहले अभ्यास करने की आदत थी। लेकिन पहली बार, वह मैच से पहले बल्ले को नहीं छू सके। टेस्ट से ठीक दो दिन पहले अपना दैनिक नेट अभ्यास खत्म करने के बाद वीवीएस लक्ष्मण, फिजियो के पास गए और पीठ दर्द की शिकायत की। फिजियो ने उसकी पीठ देखी और वह अवाक् रह गए, और वीवीएस लक्ष्मण को दर्पण में उनकी पीठ दिखाई। वीवीएस लक्ष्मण की रीढ़ की हड्डी एक तरफ झुक गई थी। एक अतिरिक्त क्षति के परिणामस्वरूप वीवीएस लक्ष्मण दीर्घकालिक रूप से विकलांग हो सकते है। वीवीएस लक्ष्मण को अनिवार्य बेड रेस्ट पर रहने का निर्देश दिया गया।
अनुभवहीन बोलिंग लाइनअप – Inexperienced blowing line up
दूसरा टेस्ट शुरू होने से दो दिन पहले तक इंडियन टीम में कोई अनुभवी स्पिनर नहीं था। टीम में कोई स्ट्राइक तेज गेंदबाज भी पेसर नहीं था। मुख्य बल्लेबाजों (राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण) को डॉक्टर्स ने अनिवार्य रूप से बेड रेस्ट के लिए निर्देश दे दिया था। यह सब कुछ एक आने वाली बहुत बड़ी आपदा की और इशारा कर रहे थे।
भारत को फॉलोऑन मिला – How India enforced for Follow on
ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 445 रन बनाए। भारतीय टीम एक बार फिर एक पारी मैं 200 रन बनाने में नाकाम रही। भारतीय टीम दूसरे टेस्ट के तीसरे दिन सुबह 171 रन पर ऑलआउट हो गई। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने अपने कप्तान को फॉलोऑन देने से मना करते हुए, बल्लेबाजी करने की सलाह दी। लेकिन बाकी ऑस्ट्रेलियाई टीम, इस मैच को उसी दिन समाप्त करना चाहती थी। इससे टीम को आराम के लिए दो अतिरिक्त दिन मिल सकते हैं। फिर उन्होंने फैसला किया, चलो आज ही मैच खत्म करते हैं। भारतीय ड्रेसिंग रूम में हालांकि वीवीएस लक्ष्मण ही एकमात्र ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने पहली पारी में अर्धशतक जमाया। टीम मैनेजमेंट ने सीनियर बल्लेबाज राहुल द्रविड़ को वीवीएस लक्ष्मण के साथ बैटिंग पोजीशन बदलने के लिए कहा गया। इस फैसले से राहुल द्रविड़ निश्चित रूप से निराश थे, लेकिन वो “जेंटलमैन ऑफ़ गेम” होने के नाते वह अपने जूनियर के लिए रास्ता बनाने के लिए मान गये। जब सचिन तेंदुलकर आउट हुए तो पूरा स्टेडियम खाली हो गया।
और चमत्कार हो गया – The Miracle that Happened

दुसरे टेस्ट मैच के चौथे दिन, कुछ लोग सौरव गांगुली को बल्लेबाजी करते हुए देखने के लिए आये लेकिन उनके निराशा लगी और सौरव गांगुली के आउट होते, जब राहुल द्रविड़ बल्लेबाजी करने आये, तब तक दर्शक मैदान छोड़ कर जा चुके थे। राहुल द्रविड़ का ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने छींटाकशी के साथ स्वागत किया और कहा कि पहले तुमने नंबर तीन पर बल्लेबाजी की, अब आप छे नंबर (6) पर आ रहे हैं, अब तुम टीम से बाहर हो जाएंगे। उन्होंने खूब छींटाकशी की और दूसरी और राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने पूरे सुबह का सत्र खेला।
गर्मी और उमस से भरा ईडन गार्डन्स – Hot and Humid Eden Gardens
इडेन गार्डन का मौसम बहुत गर्म और उमस से भरा हुआ था। हालांकि दोपहर के भोजन तक, राहुल द्रविड़ का शरीर, गर्मी और उमस भरे वातावरण के कारण थक गया इसके साथ ऐंठन, असहनीय दर्द उनके पुरे शरीर मैं हो रहा था।
वीवीएस लक्ष्मण का द्रढ़ निश्चय – Determination of VVS Laxman
वीवीएस लक्ष्मण लगातार राहुल द्रविड़ से बात कर रहे हैं। वीवीएस लक्ष्मण ने सुनिश्चित किया कि राहुल द्रविड़ अपना ध्यान न खोएं। बाद में वीवीएस लक्ष्मण ने खुलासा किया कि वह उस दिन से पहले उन्होंने पिच पर इतनी बात कभी नहीं की थी, जैसा कि उन्होंने उस दिन सिर्फ एक सत्र में किया था। जैसे ही दूसरा समाप्त हुआ और खिलाड़ी चाय के ब्रेक में लौट आए।
टीम मेंबर्स का राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण को अनोखे तरीके से समर्थन – How Team Supports Dravid and Laxman in unique way
अब तक वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ ने टेस्ट मैच को बचा लिया था। लेकिन इन दोनों बल्लेबाजों को किसी ने कोई बधाई नहीं दी, किसी ने कोई बात नहीं की। पूरी टीम ठीक उसी स्थान पर बैठी रही, जहां वह लंच ब्रेक के दौरान बैठी थी। सभी दिखावा कर रहे थे कि जैसे सब कुछ सामान्य है। टीम इंडिया के सभी सदस्य ऐसा दिखावा कर रहे थे कि बीबीसीआई प्रेसिडेंट जगमोहन डालमिया ने वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ द्वारा बनाए गए प्रत्येक रन के लिए 1000 रुपये की कीमत की घोषणा की ही नहीं है और ना किसी को इसबारे में कुछ पता है। टीम के प्लेयर्स ने यह भी दिखावा किया कि वीवीएस लक्ष्मण ने सुनील गावस्कर के रिकॉर्ड को भी पीछे नहीं छोड़ा है। यह दिखावा किया कि पूरा स्टेडियम उन लोगों से भरा नहीं है, जो सुबह मैच देखते हुए वापिस लौट गए थे। सब की नजरों के सामने कुछ जादुई घटित हो रहा था। अब भारतीय खिलाड़ी मैदान पर ड्रिंक ला रहे थे, उन्होंने बदले में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों पर छींटाकशी का जवाब देना शुरू कर दिया था। वे बस यह दिखावा करते हुए बैठे थे कि उनकी आंखों के सामने कोई चमत्कार नहीं हो रहा था।
दिन के खेल का अंतिम सत्र – The Last Session of Day’s Play
दुसरे टेस्ट मैच के चौथे दिन, खेल के आखिरी सत्र में, अब वीवीएस लक्ष्मण की पीठ ने अंत में जवाब दे दिया। वह अब हिल नहीं पा रहे थे। अब बारी राहुल द्रविड़ कि थी, राहुल द्रविड़ ने अकेले 80% गेंदबाजी का सामना किया और सुनिश्चित किया कि चाहे कुछ भी हो, पर एक विकेट न गिरे।
टेस्ट मैच के चौथे दिन के खेल का अंत – End of 4th Day Play of Test Match
चौथे दिन का खेल खत्म होने के बाद दोनों बल्लेबाज नोटआउट वापस पवेलियन की ओर चल पड़े। पवेलियन पहुचते ही दोनों बेंच पर ढेर हो गए। राहुल द्रविड़ को तुरंत एक मेडिकल आईवी (इंट्रावेनस थैरेपी) की आवश्यकता थी, जिसे आम बोलचाल की भाषा में ड्रिप लगाना कहते है क्योंकि डिहाइड्रेशन ने राहुल द्रविड़ का बुरा हाल कर दिया था। लेकिन अब तक वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ पूरा दिन खेल चुके थे।
राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने बचाया भारत का गौरव – Pride of India Saved by Rahul Dravid and VVS Laxman

राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने, ना सिर्फ टेस्ट मैच बचाया था। उन्होंने भारत के गौरव को बचाया था। अंत में, बहुत से लोग कहते हैं कि यह सिर्फ एक और शानदार साझेदारी हो सकती थी, अगर सचिन तेंदुलकर शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों के तीन विकेट नहीं लेते और हरभजन सिंह शेष बल्लेबाज के विकेट नहीं लेते। लोगो के इस तर्क से भी “द क्रिकेट डायरीज” सहमत है कि यह सिर्फ एक और मैच होता अगर भारतीय टीम यह मैच ना जीतती और अगला मैच जीत कर श्रृंखला ना जीतती तो हर कोई इसे भूल जाता, हम इस से भी सहमत है। लेकिन “द क्रिकेट डायरीज” इस बात से सहमत नहीं है, कि जो कोई भी, क्रिकेट के बारे में कुछ भी जानता है, वह नहीं जानता कि उस दिन वास्तव में क्या हुआ था, हरगिज़ नहीं। कैसे दो बल्लेबाजों ने अजेय ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ पूरा दिन खेला कैसे, असहनीय दर्द से जूझ रहे दो खिलाड़ी दो दिन तक बल्लेबाजी करते रहे, बस यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनका देश और उनकी टीम की हार ना हो। कैसे दो खिलाड़ियों ने पूरे देश की आशाओं, सपनों और आकांक्षाओं को आगे बढ़ाया और टीम को एक अविस्मारिन्य जीत का आधार प्रदान किया । इसी आधार पर सौरव गांगुली कि अगुवाई मैं हरभजन सिंह और सचिन तेन्दुलर ने भारतीय टीम को यादगार जीत दिलवाई।